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ATM Fraud Relief: SBI को देना होगा पूरा रिफंड और ब्याज
ATM Fraud Relief: RBI की 'Zero Liability' गाइडलाइन्स के अनुसार, यदि कोई ग्राहक किसी ATM धोखाधड़ी की जानकारी समय पर बैंक को दे देता है, तो बैंक को उस ग्राहक को पूरा रिफंड देना होता है।
ATM Fraud Relief (Image Credit-Social Media)
ATM Fraud Relief : दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को आदेश दिया है कि वह एक ग्राहक को ATM धोखाधड़ी में गंवाई गई ₹20,000 की राशि 10% वार्षिक ब्याज सहित लौटाए। यह मामला वर्ष 2014 से लंबित था और करीब 11 साल की कानूनी प्रक्रिया के बाद आयोग ने बैंक की लापरवाही को गंभीर मानते हुए यह आदेश दिया। यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा, बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और ग्राहकों की शिकायतों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जिससे भविष्य में बेहतर बैंकिंग सेवाएं सुनिश्चित हो सकें।
मामला क्या था?
2014 में SBI के एक ग्राहक के खाते से ₹20,000 की अनधिकृत निकासी की गई थी। ग्राहक ने तुरंत बैंक को इस धोखाधड़ी की जानकारी दी, लेकिन बैंक ने उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और न ही कोई संतोषजनक कार्रवाई की। इसके बाद ग्राहक ने इस मामले को उपभोक्ता आयोग में ले जाया।
लंबी सुनवाई के बाद, दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने बैंक की लापरवाही को स्वीकारते हुए स्पष्ट निर्देश दिया कि SBI ग्राहक को ₹20,000 की पूरी राशि के साथ 2014 से अब तक का 10% वार्षिक ब्याज भी दे।
आयोग के आदेश के पीछे के कारण
1. रिजर्व बैंक की ‘जीरो लाइबिलिटी’ नीति
भारतीय रिजर्व बैंक की 'Zero Liability' गाइडलाइन्स के अनुसार, यदि कोई ग्राहक किसी ATM धोखाधड़ी की जानकारी समय पर बैंक को दे देता है, तो बैंक को उस ग्राहक को पूरा रिफंड देना होता है। इस केस में, आयोग ने माना कि ग्राहक ने समय रहते बैंक को सूचित किया था, फिर भी बैंक ने उसे अनदेखा किया।
2. बैंक की लापरवाही
आयोग ने यह भी माना कि बैंक ने ग्राहक की शिकायत पर आवश्यक कदम नहीं उठाए और उसे उचित समाधान नहीं दिया। आयोग ने यह टिप्पणी भी की कि अगर बैंक समय पर प्रतिक्रिया देता, तो ग्राहक को कोर्ट का सहारा नहीं लेना पड़ता।
ब्याज के साथ रिफंड क्यों?
आयोग ने यह स्पष्ट किया कि केवल ₹20,000 लौटाना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि बैंक को 2014 से अब तक की अवधि के लिए 10% सालाना ब्याज के साथ राशि लौटानी होगी। यह ब्याज उपभोक्ता को हुए मानसिक, आर्थिक और समय के नुकसान की भरपाई के रूप में देखा जा रहा है।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों को मज़बूत करता है और बैंकिंग संस्थानों को यह संदेश देता है कि ग्राहक की शिकायतों को नज़रअंदाज़ करना महंगा पड़ सकता है। यह सभी ग्राहकों के लिए एक उदाहरण है कि यदि वे समय पर कार्रवाई करते हैं और न्याय की मांग करते हैं, तो सिस्टम उनके पक्ष में फैसला कर सकता है।
सारांश
दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग का यह आदेश न सिर्फ ATM धोखाधड़ी पीड़ितों के लिए राहत भरा है, बल्कि सभी बैंक ग्राहकों को यह संदेश देता है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और आवश्यकता पड़ने पर न्यायिक रास्ता अपनाएं। यह निर्णय बैंकों के लिए भी चेतावनी है कि ग्राहकों की शिकायतों को समय पर और जिम्मेदारी से हल किया जाए, अन्यथा उन्हें कानूनी और वित्तीय परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
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