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Balrampur News: स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा: एक ही नाम से छह जिलों में नियुक्ति का खुलासा
Balrampur News: बलरामपुर में तैनात लैब टेक्नीशियन अर्पित सिंह के नाम से छह जिलों में नियुक्तियां, जांच में बड़ा घोटाला उजागर
स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा (photo: social media )
Balrampur News: बलरामपुर जनपद और प्रदेश से स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जहां पर बलरामपुर जनपद समेत अन्य पांच जनपदों में नियुक्त है। लगातार प्रत्येक माह वेतन भी भुगतान हो रहा है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियों से जुड़ा बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बलरामपुर जिले के पचपेड़वा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात लैब टेक्नीशियन अर्पित सिंह की नियुक्ति संदिग्ध पाई गई है। जांच में खुलासा हुआ है कि अर्पित सिंह नाम से एक ही पिता का नाम और जन्मतिथि दर्ज कर छह अलग-अलग जिलों में अलग-अलग लोगों की तैनाती हुई है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिए मई 2016 में एक्सरे टेक्नीशियनों की भर्ती हुई थी। उस समय निदेशक (पैरामेडिकल) ए.सी. त्रिपाठी के आदेश पर 403 पदों पर नियुक्ति की सूची जारी की गई थी। इस सूची में क्रमांक 80 पर अर्पित सिंह पुत्र अनिल कुमार सिंह, जन्मतिथि 12 जून 1989 का नाम दर्ज है, जिन्हें हाथरस के सीएचसी मुरसान में तैनाती मिली थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मानव संपदा पोर्टल पर इसी नाम से छह अलग-अलग नियुक्तियां दर्ज मिलीं।दस्तावेजों के मुताबिक, अर्पित सिंह नामक कर्मी हाथरस, रामपुर, बांदा, बदायूं, बलरामपुर और फर्रुखाबाद के स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात दिख रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सभी का नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि समान है। यहां तक कि चार कर्मियों का स्थायी पता भी सी-22, प्रतापनगर, शाहगंज, आगरा दर्ज है।
अर्पित सिंह वर्तमान में फरार बताए जा रहे
बलरामपुर में तैनात अर्पित सिंह वर्तमान में फरार बताए जा रहे हैं। इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलरामपुर डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी ने कहा कि विभागीय जांच जारी है। इस संबंध में शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (पैरामेडिकल) डॉ. रतन पाल सुमन ने कहा, “छह कार्मिकों का नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि एक होना संदेह पैदा करता है। जांच कराई जाएगी और यदि फर्जी नियुक्ति की पुष्टि हुई तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग की भर्ती प्रक्रिया और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आशंका जताई जा रही है कि संगठित स्तर पर फर्जीवाड़ा कर सरकारी वेतन का दुरुपयोग हो रहा है।
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