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Banda News: लोहिया पुल–शंकर नगर में जलभराव से मोहल्ले वाले परेशान, बारिश ने खोल दी नगरपालिका की पोल
Banda News: लोहिया पुल के पास शंकर नगर में रेलवे का दोहरीकरण कार्य चल रहा है, जिसके कारण मोहल्ले की गलियां बजबजा रही हैं। मोहल्ले वालों ने इस मुसीबत से हलकान होकर बीते शुक्रवार को डीएम साहिबा की चौखट पर मांगपत्र सौंपा।
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Banda News: शहर में शुक्रवार से हो रही तेज बारिश ने लोहिया पुल के आसपास रह रहे बाशिंदों, खासकर शंकर नगर के निवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। हर साल भारी बजट खर्च कर नाले, चोक नालियों और जलभराव की समस्या को दुरुस्त करने का दावा करने वाली नगरपालिका की टीम फिलहाल विकास के 'थिंगरों' पर जश्न मना रही है। वहीं, होर्डिंगों पर चमकने वाले नेता और नेत्रियां शहर की इस बदहाली पर मौन साधे हुए हैं।
लोहिया पुल के पास शंकर नगर में रेलवे का दोहरीकरण कार्य चल रहा है, जिसके कारण मोहल्ले की गलियां बजबजा रही हैं। मोहल्ले वालों ने इस मुसीबत से हलकान होकर बीते शुक्रवार को डीएम साहिबा की चौखट पर मांगपत्र सौंपा। गौरतलब है कि शहर के युवा पत्रकार अनवर राजा रानू भी इसी मोहल्ले के निवासी हैं। वे भी आम नागरिकों की तरह डीएम साहिबा के समक्ष ज्ञापन देने वालों में शामिल हुए। जब पत्रकार ही नगरपालिका की लापरवाही और सिस्टम से परेशान हो जाएं, तो आम नागरिकों की कौन सुनेगा?
शंकर नगर में जलभराव की इस सामूहिक शिकायत पर मोहल्ले वासियों ने जानकारी दी कि कुछ दिन पूर्व रेलवे दोहरीकरण कार्य के चलते एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है, जिस पर खासा हल्ला मचा था। यह विकास कार्य कई दिनों से चल रहा है, लेकिन बरसात की दस्तक से पहले जलभराव से निपटने के प्राथमिक इंतज़ाम तो प्रशासन को करने ही चाहिए थे।निवासियों का आरोप है कि नगरपालिका हर बार बजट निकालकर मोहल्ले की चोक नालियों की सफाई का दिखावा करती है, लेकिन एक तेज बारिश ही अनियोजित विकास और लचर व्यवस्था की सच्चाई को उजागर कर देती है। फिलहाल डीएम साहिबा ने बरसात के बाद इस समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन दिया है।
झील का पुरवा वार्ड 16 में खुदा पड़ा नाला, लोगों की परेशानी का सबब बना!
शंकर नगर में जहां रेलवे दोहरीकरण के चलते बरसात में जलभराव की समस्या है, वहीं शहर के वार्ड 16 (झील का पुरवा/देवनगर) में ठेकेदार प्रदीप गुप्ता उर्फ मोनू और वार्ड सदस्य की अदूरदर्शिता से 4 जून से एक निर्माणाधीन नाला खुदा पड़ा है। यह नाला 4.5 मीटर चौड़ा है और बोल्डरयुक्त बनाया जाना है, लेकिन कुछ अतिक्रमण को हटाया नहीं जा सका।
इस संबंध में जिलाधिकारी के माध्यम से सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया गया, किंतु नगरपालिका ने आज तक हलके के लेखपाल से नाले की पैमाइश तक नहीं करवाई है। उधर, बरसात के कारण खुदा पड़ा नाला न केवल करीब एक सैकड़ा घरों की मुख्य पाइपलाइन से जुड़ी पेयजल आपूर्ति को बाधित कर रहा है, बल्कि आसपास की कच्ची सड़क भी मुहल्ले वासियों के लिए नरक बन गई है।
जल संस्थान के जेई मयंक कुमार शायद ही कभी मुख्य पाइपलाइन से जुड़ी अवैध पेयजल आपूर्ति लाइनों का निरीक्षण करते होंगे, और न ही फिजूलखर्ची में रोजाना बह रहे सैकड़ों लीटर पानी के संरक्षण की कोई कोशिश की जाती है। स्थानीय नागरिकों को जागरूक कर इस बर्बादी को रोका जा सकता है।नगरपालिका ने शहर में कुछ चौराहों का सौंदर्यीकरण अवश्य किया है, लेकिन इसके साथ ही सिर्फ अपनी मार्केटिंग की हैं। यह बात आम जनता भलीभांति समझ रही है। अब देखने की बात यह है कि शंकर नगर, लोहिया पुल और झील का पुरवा/देवनगर की ये समस्याएं आखिर कब अच्छे दिन की शुरुआत देखेंगी।
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