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Chandauli News: नौगढ़ में विकास लापता! ग्रामीणों की चीखें, अफसरों के कान बंद?
Chandauli News:नौगढ़ के सीधे-सादे नागरिक अपनी छोटी-छोटी दिक्कतों के लिए सरकारी दफ्तरों के ऐसे चक्कर लगा रहे हैं कि अब तो उनकी आंखों में भी धुंध छा गई है।
Chandauli News
Chandauli News:उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील में मानो विकास की बयार उल्टी बह रही है। यहां ग्रामीणों की परेशानियां किसी पहाड़ से कम नहीं, और सरकारी कोशिशें? वो तो जैसे हवा में उड़ती पतंग साबित हो रही हैं। तहसील दिवस हो या थाना दिवस, आम आदमी की किस्मत बदलने में ये सब मंच बेअसर दिखाई दे रहे हैं। आखिर कब सुनेगी नौगढ़ की जनता की पुकार?
दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर बूढ़े हुए नागरिक!
नौगढ़ के सीधे-सादे नागरिक अपनी छोटी-छोटी दिक्कतों के लिए सरकारी दफ्तरों के ऐसे चक्कर लगा रहे हैं कि अब तो उनकी आंखों में भी धुंध छा गई है। कई तो जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रहे हैं, पर उनकी मुश्किलें? वो वहीं की वहीं अटकी हुई हैं। फाइलों में उनकी दर्द भरी कहानियां धूल फांक रही हैं और न्याय की उम्मीद अब बस एक दूर का सपना लगती है।
राशन कार्ड का 'खेल': गरीबों का पेट खाली, अफसर मौज में?
सरकार ने गरीबों का पेट भरने के लिए राशन कार्ड तो बना दिए, लेकिन यहां भी 'खेल' हो गया! किसी के कार्ड से बच्चों का नाम गायब, तो किसी के में पत्नी या मां-बाप का। अब इन गलतियों को सुधरवाने के लिए गरीब गांव छोड़कर नौगढ़ मुख्यालय के आपूर्ति विभाग के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। पर साहब? वो तो मिलते ही नहीं!
अधिकारी गायब! किसका सुनेगा नौगढ़?
सबसे दुखद बात तो यह है कि आपूर्ति विभाग के दफ्तर में अक्सर बड़े साहब ही नदारद रहते हैं। अपनी मेहनत की कमाई छोड़कर दूर-दराज से आए ग्रामीण घंटों उनका इंतजार करते हैं, लेकिन उनके हाथ लगती है तो सिर्फ निराशा। बूढ़े-बुजुर्ग तो इस परेशानी से और भी ज्यादा बेहाल हैं, जिनका नाम सालों बाद भी राशन कार्ड पर नहीं चढ़ सका है।
बुजुर्गों की पीड़ा: 'अब ईश्वर ही है आखिरी सहारा'
90 वर्षीय बिस्मिल्लाह अंसारी की कहानी इन हालातों की मार्मिक मिसाल है। अपनी पत्नी का नाम राशन कार्ड में जुड़वाने के लिए उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर चंदौली और वाराणसी तक चक्कर लगाए, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब वे थककर कहते हैं, "कहां जाएं, कुछ समझ नहीं आता... अब तो ऊपर वाले से ही उम्मीद है।"
कब जागेगा प्रशासन?
अब इन बेचारों को न तो ठीक से राशन मिल पा रहा है, और न ही इनकी यूनिट बढ़ रही है। बूढ़े दंपत्ति और दूसरे आम लोग इस सरकारी सिस्टम से तंग आ चुके हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अपनी फरियाद लेकर जाएं तो कहां जाएं? ग्रामीणों ने अब थक-हारकर जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि इस गंभीर समस्या पर थोड़ा ध्यान दें, ताकि उन्हें कुछ राहत मिले और सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सके। देखना यह है कि कब इन मजबूरों की आवाज सरकार तक पहुंचती है और कब इनकी तकलीफें दूर होती हैं। नौगढ़ के 90 वर्षीय बिस्मिल्लाह अंसारी जैसे हजारों लोग आज भी अपनी पत्नी का नाम राशन कार्ड में जुड़वाने के लिए अफसरों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। अब उन्हें सिर्फ भगवान का ही सहारा है!
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