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Hapur News: लिपिक की लापरवाही से डीएम को कोर्ट जाना पड़ा, निलंबित
Hapur News: हाईकोर्ट आदेश दबाने से हापुड़ डीएम को खुद कोर्ट पहुंचना पड़ा। लिपिक संजीव कुमार निलंबित, प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े।
लिपिक की लापरवाही से डीएम को कोर्ट जाना पड़ा, निलंबित (Photo- Newstrack)
Hapur News: जिला प्रशासन की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। अधिकारियों की सख्ती के बावजूद कर्मचारियों की मनमानी और लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। अबकी बार तो एक लिपिक की लापरवाही ने स्वयं जिलाधिकारी (डीएम) को भी कठिनाई में डाल दिया। हाईकोर्ट के आदेश की पत्रावली को तहसील में तैनात लिपिक संजीव कुमार ने दबाकर रख दिया, जिससे आदेश का समय पर पालन नहीं हो सका। परिणामस्वरूप मंगलवार को डीएम अभिषेक पांडेय को स्वयं हाईकोर्ट जाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी पड़ी।
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक, तहसील क्षेत्र की एक भूमि संबंधी विवाद का मामला उच्च न्यायालय में लंबित था। न्यायालय ने 12 अगस्त को हापुड़ जिला प्रशासन से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि निर्धारित तारीख तक रिपोर्ट नहीं दी गई तो डीएम को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ेगा।मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को तय थी। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से रिपोर्ट न्यायालय में नहीं पहुंची।
कैसे दबाई गई फाइल
स्रोतों के अनुसार, एसडीएम से तहसीलदार के पास पहुंची यह पत्रावली आगे डीएम तक पहुंचनी थी। लेकिन तहसील में तैनात आरसी लिपिक संजीव कुमार ने न तो न्यायालय का आदेश अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया और न ही पत्रावली डीएम के पटल पर रखी।इस लापरवाही से न सिर्फ आदेश का पालन नहीं हो पाया, बल्कि डीएम को स्वयं कोर्ट जाना पड़ा। हाईकोर्ट को जब यह स्थिति पता चली तो प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया।
डीएम ने खुद सौंपी रिपोर्ट
मामला संज्ञान में आने पर डीएम अभिषेक पांडेय ने तत्काल रिपोर्ट तैयार कराई और खुद मंगलवार को हाईकोर्ट पहुंचकर रिपोर्ट प्रस्तुत की। सूत्रों के अनुसार, डीएम के समय पर पहुंच जाने और आदेश का पालन कराने से न्यायालय की अवमानना नहीं बन पाई। लेकिन यह घटना लिपिकीय मनमानी और प्रशासनिक कार्यशैली की बड़ी खामी को उजागर करती है।
लापरवाह लिपिक निलंबित
इस पूरे मामले में तहसील में तैनात लिपिक संजीव कुमार की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। प्रशासन ने उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।अपर जिलाधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि प्रशासनिक मामले में उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को फाइल के निस्तारण के आदेश दिए थे। संबंधित अधिकारी तक आदेश न पहुंचने के कारण निस्तारण नहीं हो सका। तहसील में तैनात लिपिक संजीव कुमार ने पत्राचार में लापरवाही बरती। इस कारण उन्हें निलंबित किया गया है। यह सामान्य विभागीय प्रक्रिया है।”
जनता परेशान, व्यवस्था सवालों के घेरे में
स्थानीय लोगों का कहना है कि पत्राचार और फाइलों को दबाने की प्रवृत्ति आमजन को रोजाना परेशान करती है। बावजूद इसके, कार्रवाई सिर्फ निलंबन तक ही सीमित रहती है, जिससे कर्मचारियों के कामकाज में सुधार नहीं आ रहा।
यह घटना जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
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