Sonbhadra News: 'मीतापुर-करगरा' के खनन में उड़ाई जा रही सुरक्षा-पर्यावरण मानकों की धज्जियां, गहरी खंदक में तब्दील हुई खदान, वीडियो वायरल

Sonbhadra News: जिला मुख्यालय से महज 15 से 16 किमी दूरी पर स्थित, इस खदान में उड़ाई जा रही मानकों की धज्जियों पर किसी की नजर क्यूं नहीं पड़ पा रही? यह सवाल जहां चर्चा का विषय बना हुआ है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 22 May 2025 8:46 PM IST
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Sonbhadra News: सोनभद्र । सदर तहसील क्षेत्र के मीतापुर-करगरा में मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए पत्थर खनन का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। जिस तरह की तस्वीरें-वीडियो सामने आई हैं, उसमें खदान, का हिस्सा गहरे खंदक में तब्दील तो दिखाई दे ही रहा है, बगैर सुरक्षा उपाय, किए जा रहे खनन कार्य और खदान के निचले हिस्से से मौत को दावत देते हुए, टीपरों से की जा रही पत्थरों की ढुलाई का नजारा झिंझोड़ देने वाला है। जिला मुख्यालय से महज 15 से 16 किमी दूरी पर स्थित, इस खदान में उड़ाई जा रही मानकों की धज्जियों पर किसी की नजर क्यूं नहीं पड़ पा रही? यह सवाल जहां चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, कथित खदान का कथित वीडियो वायरल होने के बार जहां संबंधितों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं, कार्रवाई की मांग तेजी से जोर पकड़ने लगी है।


वायरल तस्वीरों-वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि कभी बालू खनन के लिए अपनी पहचान रखने वाला, मीतापुर-करगरा इलाका इन दिनों पत्थर खनन के लिए किए जाने वाले ब्लास्टिंग से गंुजायमान है। दावा किया जा रहा है कि यहां पहाड़ी न होने के कारण, जमीन के सतह की मिट्टी हटाकर पत्थर खनन कार्य किया जा रहा है। बगैर बेंच, बगैर मानकों का ख्याल रखे किए जा रहे खनन कार्य की यह स्थिति है कि चंद वर्षों में ही यहां की खदान, मौत के खंदक सरीखी हालत में तब्दील हो गई है। लोगों का आरोप है कि यह एरिया जिले के प्रमुख खनन क्षेत्र बिल्ली-मारकुंडी से अलग होने के कारण जहां, यहां हो रहे खनन पर किसी की आसानी से नजर नहीं पड़ती।

वहीं, उच्चस्तरीय टीमों के दौरे के समय भी यह इलाका, भ्रमण, निगरानी से अछूता पड़ा रहता है। लोगों का आरोप है कि कई बार लोगों की ओर से शिकायतें भी की लेकिन कार्रवाई सामने नहीं आई। इसके चलते नियमों की धज्जियां उड़ाकर चल रहा खनन का यह कथित खेल धड़ल्ले से जारी है।

सामने आई तस्वीरों-वीडियो ने खड़े किए कई सवाल

वायरल वीडियो की न्यूजट्रैक पुष्टि नहीं करता लेकिन जिस तरह की तस्वीरें‘-वीडियो वायरल होकर सामने आई है उसने जहां कई तरह के सवाल उठाए हैं। वहीं, संबंधित पत्थर खदान को किसी आनंद कुमार शुक्ला के नाम आवंटित बताया जा रहा है। आराजी नंबर 410 क की लगभग साढ़े तीन एकड़ के लिए स्वीकृत इस खनन पट्टे की अवधि 25 जुलाई 2025 तक की बताई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि खनन कार्य 27 जुलाई 2015 को स्वीकृत किया गया था। तब से अब तक हो रहे खनन ने जहां, पट्टे के लिए आवंटित एरिया का भूगोल बदलकर रख दिया है। वहीं, लगभग 10 सालों से चल रहे खनन और, यहां किए जा रहे खनन कार्यों में सुरक्षा-पर्यावरण मानकों की वर्षों से की जा रही अनदेखी पर अब तक नजर न पड़ने का परिणाम यह है कि, यह खदान जहां एक तरफ से मौत के खंदक की तब्दील हो गई। वहीं, वायरल वीडियो में, ब्लास्टिंग के बाद गहराई में पोकलेन से टीपर पर बोल्डर लोड किए जाने के साथ ही, बगैर किसी सुरक्षा व्यवस्था के सीधी चढ़ाई में टीपर चढ़ाए जाने का नजारा रोंगटे खड़े कर देने वाला है।


एक सप्ताह पुराना बताया जा रहा वायरल वीडियो

बृहस्पतिवार को वायरल किए गए तीन वीडियोे, एक सप्ताह पुराने बताए जा रहे हैं। 42 सेकंड के पहले वीडियो में जहां खदान गहरी खंदक में सीधी गहराई लिए, दर्जनों फीट गहरी खंदक में तब्दील दिखाई दे रही है। वहीं, उसमें कई वाहन पर और एक वाहन पर पोकलेन से बोल्डर लोड होता दिखाई दे रहा है। 36 सेकंड के दूसरे वीडियो में बगैर किसी सुरक्षा उपाय के खदान में कुछ लोग टहलते दिख रहे हैं। टीपर पर बोल्डर लोड होते दिखाई दे रहा है और खतरे भरा रास्ता सामने आ रहा है। एक मिनट पांच सेकंड के तीसरे वीडियो में दर्जनों फीट गहराई भरी खदान में बोल्डर लोड करने के लिए वाहनों की मौजूदगी, बोल्डर की लोडिंग के साथ ही, एक टीपर खतरे भरे रास्ते से उपर चढ़ती दिखाई दे रही है।

निगरानी तंत्र की सक्रियता पर उठाए जा रहे सवाल

कथित खदान की स्थिति क्या है, यहां सुरक्षा और पर्यावरण के मानकों की पालन की स्थिति क्या है? यह तो जांच के बाद ही पुख्ता तौर पर सामने आएगा लेकिन फिलहाल जिस तरह की वीडियो सामने आई, उसने खदान संचालन के साथ ही निगरानी तंत्र की सक्रियता पर सवाल तो उठाए ही हैं, मामले को लेकर कार्रवाई की भी मांग उठने लगी है। इस बारे में जानकारी के लिए ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह दोनों से फोन पर संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

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