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Sonbhadra News: 'कार्रवाई नहीं चाहते' कहकर बंद किया गया सुसाइड मामला, अब न्यायालय के आदेश पर पत्नी सहित पांच पर केस दर्ज
Sonbhadra News: सोनभद्र में चार माह पूर्व सामने आए एक संदिग्ध खुदकुशी मामले में, जिसे पहले 'परिवार की अनिच्छा' कहकर बंद कर दिया गया था, अब न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद नया मोड़ आ गया है।
Sonbhadra News (Social Media image)
Sonbhadra News: सोनभद्र में चार माह पूर्व सामने आए एक संदिग्ध खुदकुशी मामले में, जिसे पहले 'परिवार की अनिच्छा' कहकर बंद कर दिया गया था, अब न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद नया मोड़ आ गया है। मृतक के आत्महत्या से जुड़े वायरल वीडियो और पिता की तहरीर के मद्देनजर, मृतक की पत्नी, सास-ससुर सहित पांच लोगों पर खुदकुशी के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया है। यह मामला बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष प्रकरण से मिलता-जुलता होने के कारण पहले भी सुर्खियां बटोर चुका है।
यह प्रकरण राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के जिगना गांव का है, जहां तूफान सिंह नामक युवक ने संदिग्ध परिस्थितियों में खुदकुशी कर ली थी। आत्महत्या के बाद, परिवार वालों को उसके मोबाइल में एक वीडियो मिला था। इस वीडियो में तूफान सिंह ने अपनी पत्नी सहित अन्य ससुरालियों पर खुदकुशी के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर लगातार वायरल होने और परिवार की ओर से कार्रवाई की मांग के बावजूद, पुलिस ने 24 मार्च 2025 को यह कहकर प्रकरण को बंद कर दिया था कि "परिवार वाले कार्रवाई नहीं चाहते।"
हालांकि, मृतक के पिता राम सिंह पुत्र स्व. धनेश सिंह ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 173(4) के तहत न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया। उन्होंने अपनी पुत्रवधू रेशम सिंह, ससुर ठाकुर प्रसाद, सास गीता सिंह, और साले संतोष सिंह व जितेंद्र सिंह पर बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। राम सिंह का कहना था कि पहले उनके बेटे पर परिवार से अलग होने का दबाव डाला गया। जब उसने इसे स्वीकार नहीं किया तो उसे 'नामर्द' होने का आरोप लगाते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। आरोप है कि उसकी पत्नी अचानक उसे छोड़कर मायके चली गई, और जब उसने इस बारे में बात की तो उसे अपमानजनक शब्द कहे गए। पिता का दावा है कि ससुरालियों द्वारा लगातार किए जा रहे मानसिक उत्पीड़न के चलते ही उनके बेटे को यह कदम उठाना पड़ा।
न्यायालय में दिए गए प्रार्थना पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि इस मामले को लेकर गत 12 मार्च 2025 को राबर्ट्सगंज कोतवाली में तहरीर दी गई थी। लेकिन आरोप है कि पुलिस ने कार्रवाई करने की बजाय, 24 मार्च 2025 को मृतक के ससुरालियों के सामने उन पर दबाव बनाते हुए यह लिखवा लिया कि उन्हें अपने पुत्र की मृत्यु के बाबत कोई कार्रवाई नहीं करनी है। पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया है कि इसके लिए उन्हें काफी डराया-धमकाया गया और छेड़खानी-बलात्कार जैसे झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दी गई थी।
अब जब इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 1087 (खुदकुशी के लिए उत्प्रेरित करना) के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया है, तो पीड़ित पक्ष की तरफ से प्रकरण को लेकर वीडियो-ऑडियो दोनों सबूत होने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में, अब आगे चलकर पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करती है, इस पर लोगों की नजरें टिकी हुई हैं। यह केस एक बार फिर न्यायपालिका के हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करता है।
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