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शी जिनपिंग लग गए 'ठिकाने'! चीन में 'गलत' तरीके होता है सत्ता परिवर्तन; चुकानी पड़ सकती है 'बड़ी' की कीमत

Xi Jinping: सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो के पुनर्गठन के जरिए यह तय होगा कि चीन की राजनीतिक दिशा आगे कैसी रहेगी

Snigdha Singh
Published on: 8 July 2025 12:20 PM IST
शी जिनपिंग लग गए ठिकाने! चीन में गलत तरीके होता है सत्ता परिवर्तन; चुकानी पड़ सकती है बड़ी की कीमत
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China Leadership Change: चीन में सत्ता के गलियारों से बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पकड़ अब कमजोर होती जा रही है। बताया जा रहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के वरिष्ठ नेता अब नेतृत्व परिवर्तन पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। शी जिनपिंग की विचारधारा और अंतरराष्ट्रीय मामलों में आक्रामक रवैये को लेकर पार्टी के भीतर गहरी असहमति देखी जा रही है।

शी फिलहाल औपचारिक रूप से सत्ता में बने हुए हैं, लेकिन पार्टी के अंदर से बढ़ता असंतोष और हालिया विफलताएं उनके भविष्य पर सवाल खड़े कर रही हैं। खबर है कि कई वरिष्ठ नेता अब चीन को विचारधारात्मक कट्टरता से हटाकर व्यावहारिक और संस्थागत सुधारों की राह पर ले जाना चाहते हैं। बता दें की इन दिनों चीन की सत्ता परिवर्तन को लेकर तमाम तरह की बातें चल रही हैं। एक्सपर्ट्स की माने तो जिस तरह से जिनपिंग गायब हैं ऐसे हालात सत्ता परिवर्तन के समय होते हैं। लेकिन उनका इस तरह से गायब होना कई सवाल खड़े करता है। जिनपिंगो को हाउस अरेस्ट किया गया या कोई और वजह है?

शी के करीबी भी हो रहे दूर

पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, शी के केंद्रीकरण के फैसलों और लगातार वैचारिक अभियानों ने पार्टी के भीतर कई ताकतवर धड़ों को नाराज़ किया है। पार्टी के भीतर नेताओं की निगरानी, टेक्नोलॉजी पर अत्यधिक निर्भरता और सैन्य अफसरों की अचानक बर्खास्तगी जैसे कदमों ने माहौल को और अशांत कर दिया है। उनके भरोसेमंद सहयोगी ली शांगफू और किन गैंग को हटाना, आंतरिक अस्थिरता की ओर इशारा करता है।

कौन बन सकता है अगला नेता?

सूत्रों के अनुसार, दो नाम सबसे आगे हैं एक सैन्य और दूसरा आर्थिक मोर्चे पर-

जनरल झांग यूक्सिया: सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के उपाध्यक्ष रह चुके झांग को अब पीएलए (चीनी सेना) के भीतर असली ताकत माना जा रहा है। कभी शी के करीबी माने जाने वाले झांग अब उनसे दूरी बना चुके हैं और स्वतंत्र सैन्य दृष्टिकोण अपना रहे हैं। उनके पास हू जिंताओ और वेन जियाबाओ जैसे पूर्व नेताओं का समर्थन है। ऐसे में सीसीपी झांग को सैन्य स्थिरता के लिए एक अहम चेहरा मान रही है।

वांग यांग: पूर्व उप प्रधानमंत्री और सुधारवादी नेता वांग यांग को आर्थिक मोर्चे पर शी का विकल्प माना जा रहा है। ग्वांगडोंग में आर्थिक सुधारों और स्वच्छ प्रशासन की उनकी छवि उन्हें एक स्वीकार्य चेहरा बनाती है। वह भले ही अभी सत्ता के केंद्र से दूर हैं, लेकिन सूत्रों का मानना है कि शी के बाद की योजना में उनका नाम गंभीरता से लिया जा रहा है। सीसीपी चाहती है कि चीन के निजी क्षेत्र और विदेशी निवेश में भरोसा लौटाया जाए और वांग इस भूमिका में फिट बैठते हैं।

सीसीपी के सामने दोहरी चुनौती

कम्युनिस्ट पार्टी के सामने दो प्रमुख चुनौती हैं सेना और अर्थव्यवस्था। पार्टी की कोशिश है कि सैन्य मामलों में झांग यूक्सिया की प्रोफेशनल सोच को प्राथमिकता दी जाए, जबकि आर्थिक मोर्चे पर वांग यांग जैसे नेता चीन को वैश्विक मंच पर दोबारा प्रतिस्पर्धी बना सकें।

अगर सेना जनरल झांग के पक्ष में जाती है, तो लद्दाख, ताइवान और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उनकी भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी। लेकिन, उनके प्रोफेशनल सैन्य रुख के चलते टकराव की संभावना भी बनी रहेगी। दूसरी ओर, अगर वांग यांग को सत्ता मिलती है, तो चीन के आर्थिक द्वार एक बार फिर खुल सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय निवेश और व्यापार में चीन की वापसी की संभावनाएं मजबूत हो सकती हैं।

चीन में सत्ता को लेकर एक बड़ा बदलाव सामने आ सकता है। शी जिनपिंग के नेतृत्व को लेकर पार्टी में अंदरखाने असहमति बढ़ रही है। पार्टी के रणनीतिकार अब सैन्य और आर्थिक संतुलन की दिशा में नए नेतृत्व की तलाश कर रहे हैं। आने वाले समय में सीसीपी की ये उथल-पुथल पूरी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।

कैसे होता है चुनाव

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की महत्वपूर्ण बैठक मध्य अक्टूबर में बीजिंग के प्रतिष्ठित ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में पूरे देश से चुने गए प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। पार्टी के कुल 2,300 प्रतिनिधियों में से इस बार 2,287 ही भाग लेंगे। रिपोर्टों के अनुसार, 13 प्रतिनिधियों को अनुशासनहीनता और अनुचित आचरण के चलते अयोग्य करार दिया गया है।

इस बंद कमरे की बैठक में सीपीसी की सबसे शक्तिशाली संस्था सेंट्रल कमेटी का चुनाव होगा, जिसमें लगभग 200 सदस्य होते हैं। यही कमेटी आगे चलकर पोलित ब्यूरो और फिर पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी का चयन करती है। वर्तमान में पोलित ब्यूरो में 24 सदस्य हैं जबकि स्टैंडिंग कमेटी में 7 सदस्य शामिल हैं। हालांकि, इनकी संख्या समय-समय पर बदली जाती रही है।

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Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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