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तीन झटकों में टूटा ईरान का परमाणु प्लान! बरसों पुराना सपना चकनाचूर – फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में क्या था खास, जिसे अमेरिका ने पूरी तरह तबाह कर दिया
US Iran Airstrike: अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर से हमला कर फोर्डो, नतांज और इस्फाहान जैसे अहम न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह कर दिया, जिससे ईरान का परमाणु बम बनाने का सपना टूट गया। जानिए क्या था इन
Iran's nuclear plan shattered in three blows Years old dream shattered what was special about Fordo Natanz and Isfahan which America completely destroyed
US Iran Airstrike: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी वायुसेना ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर हवाई हमला किया है। ये तीन साइट्स हैं फोर्डो , नतांज और इस्फाहान। अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने इन तीनों जगहों पर जबरदस्त बमबारी की और हमले के बाद सभी विमान सुरक्षित लौट गए। इस कार्रवाई को लेकर अमेरिका और इजरायल ने संतोष जताया है। साथ ही ईरान को चेतावनी दी गई है कि वह पलटवार न करे।
गौरतलब है कि ईरान इन ठिकानों पर कई सालों से परमाणु हथियार बनाने का काम कर रहा था। अब इन ठिकानों के नष्ट हो जाने से ईरान के परमाणु बम बनाने का सपना भी टूट गया है।
ईरान का सबसे मजबूत ठिकाना
13 जून से इजरायली सेना लगातार ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर रही है। लेकिन फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर वो कोई असर नहीं कर पाई थी। यह प्लांट ईरान का सबसे सुरक्षित और मजबूत परमाणु ठिकाना माना जाता है। ईरान ने इस प्लांट को एक पहाड़ के नीचे, जमीन के करीब 300 फीट अंदर बनाया था। इसे इस तरह तैयार किया गया था कि दुश्मन के हवाई हमले से भी यह बचा रहे। इसी वजह से इसे तोड़ना आसान नहीं था। इसे तबाह करना ऐसा था जैसे किसी पहाड़ को हिला देना। लेकिन अमेरिका ने ये कर दिखाया। उसकी वायुसेना ने इस प्लांट को भी भारी बमबारी से तबाह कर दिया।
फोर्डो प्लांट को लेकर ईरान की बड़ी तैयारी
ऐसा माना जाता है कि ईरान ने इस न्यूक्लियर प्लांट का निर्माण साल 2006 में शुरू किया था। इसका मकसद परमाणु हथियार तैयार करना था। ईरान ने इस प्लांट को कई सालों तक दुनिया से छुपाकर रखा। लेकिन 2009 में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों को इसकी जानकारी मिल गई थी। ईरान को हमेशा डर था कि अमेरिका या इजरायल इस प्लांट पर हमला कर सकते हैं। इसलिए उसने यहां रूस का बनाया हुआ एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर दिया था, ताकि दुश्मन के हवाई हमलों से बचाव किया जा सके। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्लांट में यूरेनियम को इतनी मात्रा में संवर्धित किया जा रहा था कि उससे दो परमाणु बम बनाए जा सकते थे। इसीलिए यह प्लांट ईरान के लिए बेहद अहम था।
फोर्डो पर हमले की आशंका पहले से थी
विशेषज्ञों का कहना था कि फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को नुकसान पहुंचाना आसान नहीं है। इसे तबाह करने के लिए इजरायली सेना को ईरान की जमीन पर उतरना पड़ता। दुनिया को पहले से शक था कि इस प्लांट को खत्म करने के लिए अमेरिका कोई बड़ा कदम उठा सकता है – और उसने बिल्कुल वैसा ही किया।
नतांज न्यूक्लियर प्लांट – ईरान का यूरेनियम प्लांट
अब बात करते हैं नतांज न्यूक्लियर प्लांट की। यह प्लांट ईरान के परमाणु कार्यक्रम में सबसे अहम माना जाता है। यहां यूरेनियम को एनरिच यानी संवर्धित किया जाता था। यही वह प्रक्रिया है, जिससे यूरेनियम को परमाणु बम बनाने लायक बनाया जाता है। नतांज प्लांट में हजारों आधुनिक सेंट्रीफ्यूज (centrifuges) लगे हैं, जो यूरेनियम को 60 फीसदी तक संवर्धित कर सकते हैं। यह स्तर परमाणु बम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होता है।
नतांज न्यूक्लियर प्लांट की संरचना
न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) के मुताबिक, नतांज न्यूक्लियर प्लांट में 6 इमारतें जमीन के ऊपर हैं और 3 अंडरग्राउंड यानी भूमिगत ढांचे हैं। इनमें से दो भूमिगत ठिकानों में लगभग 50,000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें रखी गई थीं, जो यूरेनियम को संवर्धित करने का काम करती थीं।
इस्फाहान न्यूक्लियर प्लांट – हथियारों की फैक्ट्री
अब बात करते हैं इस्फाहान न्यूक्लियर प्लांट की, जहां ईरान तेजी से परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ रहा था। यहां येलोकेक नाम का एक पदार्थ यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदला जा रहा था, जो परमाणु ईंधन तैयार करने में काम आता है। इसके अलावा, इस संयंत्र में रिएक्टर फ्यूल यानी परमाणु रिएक्टर के लिए ईंधन भी बनाया जा रहा था। साथ ही, परमाणु बमों के लिए जरूरी यूरेनियम धातु भी यहीं तैयार हो रही थी। इस प्लांट में सैकड़ों परमाणु वैज्ञानिक काम कर रहे थे। यह प्लांट ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 350 किलोमीटर दूर, दक्षिण-पूर्व की ओर इस्फाहान शहर में स्थित है। यहीं पर तीन चीनी रिसर्च रिएक्टर और कई लैब्स भी हैं, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े हैं।
अब जानिए उस घातक हथियार के बारे में जिसने ईरान का सपना तोड़ दिया
अब तक आपने उन तीन परमाणु ठिकानों की कहानी जानी जिन्हें अमेरिका ने निशाना बनाकर तबाह कर दिया। लेकिन अब बात करते हैं उस घातक हथियार की, जिसने ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना चकनाचूर कर दिया। इस हमले में अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया। यह दुनिया के सबसे खतरनाक लड़ाकू बमवर्षक विमानों में से एक है। कुछ समय पहले ही अमेरिका ने इन B-2 बमवर्षकों को गुआम में तैनात कर दिया था। B-2 एक ऐसा जेट है जो एक साथ दो GBU-57 MOP (Massive Ordnance Penetrator) बम ले जा सकता है। इन बमों में से हर एक का वजन करीब 30,000 पाउंड होता है। इन बमों को खासतौर पर ऐसे ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाया गया है जो जमीन के बहुत नीचे होते हैं, जैसे फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट। इसी वजह से अमेरिका ने इस हमले में इनका इस्तेमाल किया और ईरान के सबसे सुरक्षित प्लांट को भी नेस्तनाबूद कर दिया।
B-2 स्टील्थ बॉम्बर: अमेरिका का अदृश्य फाइटर जेट
जिस बम का इस्तेमाल ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह करने में किया गया, उसे बंकर बस्टर बम भी कहा जाता है। इसका असली नाम है GBU-57 MOP (Massive Ordnance Penetrator)। यह बम इतने ताकतवर होते हैं कि किसी भी मजबूत कंक्रीट से बने बंकर या जमीन के 200 फीट नीचे छिपे ठिकाने को भी उड़ा सकते हैं। इस बम को लेकर उड़ने वाला विमान है B-2 स्टील्थ बॉम्बर, जो अमेरिका का बेहद आधुनिक और खतरनाक फाइटर जेट है। यह न सिर्फ भारी बम, बल्कि दूसरी लड़ाई में काम आने वाली सामग्री भी ले जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह किसी भी पारंपरिक रडार की पकड़ में नहीं आता। इसकी खास फ्लाइंग विंग डिजाइन और रडार-अब्जॉर्ब करने वाला मटेरियल इसे लगभग अदृश्य बना देता है। रडार पर इसकी पहचान किसी छोटी सी चिड़िया जितनी होती है।
यह फाइटर जेट पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर एक बार उड़ान भरने के बाद बिना रुके और बिना ईंधन भरे करीब 11,000 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इससे पहले अमेरिका इराक युद्ध में भी इस बॉम्बर का इस्तेमाल कर चुका है।
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