कयामत का हथियार! पुतिन के पोसाइडन से क्यों हिल गया अमेरिका, जानें इसकी बेजोड़ ताकत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘पोसाइडन’ नामक परमाणु टॉरपीडो का सफल परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया है। यह हथियार हिरोशिमा बम से 100 गुना ज्यादा ताकतवर बताया जा रहा है, जो पानी के अंदर से रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा कर पूरे शहरों को तबाह कर सकता है।

Harsh Srivastava
Published on: 30 Oct 2025 1:10 PM IST
कयामत का हथियार! पुतिन के पोसाइडन से क्यों हिल गया अमेरिका, जानें इसकी बेजोड़ ताकत
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Poseidon Nuclear Torpedo: 29 अक्टूबर को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसा सनसनीखेज ऐलान किया है, जिसने वैश्विक सुरक्षा समीकरणों को हिला कर रख दिया है। पुतिन ने घोषणा की है कि रूस ने 'पोसाइडन' (Poseidon) नाम के एक न्यूक्लियर-पावर्ड विशालकाय टॉरपीडो का सफल परीक्षण कर लिया है। पानी के अंदर चलने वाली यह मिसाइल, जिसे पुतिन ने 'दुनिया में बेजोड़' बताया है, इसकी मारक क्षमता इतनी है कि इसे 'कयामत का टॉरपीडो' (Doomsday Torpedo) कहा जा रहा है। पुतिन का दावा है कि यह नया हथियार रूस की सबसे ताकतवर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) 'सरमत' से भी ज्यादा विध्वंसक है। यूक्रेन युद्ध के बीच आए इस ऐलान ने दुनिया के लिए एक बड़ी चेतावनी जारी कर दी है। आखिर यह क्या है, इसकी खूबियां क्या हैं और यह दुनिया के लिए कितना बड़ा खतरा है, आइए समझते हैं।

पोसाइडन: पानी के नीचे चलने वाला 'सुपर टॉरपीडो'

पोसाइडन, जिसे पहले स्टेटस-6 या कैनियन के नाम से जाना जाता था, वास्तव में पानी के नीचे चलने वाला एक स्वायत्त वाहन (Autonomous Underwater Vehicle – AUV) है। यह एक तरह का न्यूक्लियर-पावर्ड ड्रोन है जो पनडुब्बी से लॉन्च किया जाता है और समुद्र में लंबी दूरी तक खुद ही सफर कर सकता है। इस हथियार का मुख्य मकसद दुश्मन देशों के तटीय इलाकों पर हमला करना है, और इसे खासतौर पर अमेरिका जैसे देशों की आधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए बनाया गया है। 2015 से विकसित हो रहे इस हथियार का सफल परीक्षण रूस के परमाणु हथियारों की ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करता है।

पोसाइडन की अविश्वसनीय खासियतें

पोसाइडन कोई साधारण टॉरपीडो नहीं है, बल्कि यह बेहद विशाल और तकनीकी रूप से उन्नत है। इसकी क्षमताएं किसी भी मौजूदा हथियार से कहीं अधिक हैं:

लंबाई और वजन: यह लगभग 24 मीटर लंबा है (जो एक बड़ी बस जितना है) और इसका वजन करीब 100 टन है।

अविश्वसनीय गति: यह पानी के नीचे 185 किलोमीटर प्रति घंटा की तीव्र गति से चल सकता है, जो इसे किसी भी सामान्य नौसैनिक हथियार की पकड़ से दूर रखता है।

डाइविंग क्षमता: यह 1,000 मीटर (1 किलोमीटर) तक की गहराई में डाइव कर सकता है, जबकि सामान्य टॉरपीडो इसकी आधी गहराई तक ही जा पाते हैं।

रेंज: इसकी सबसे खतरनाक खासियत इसकी अनलिमिटेड रेंज है! न्यूक्लियर इंजन से चलने के कारण, यह बिना रिफ्यूल किए महीनों तक समुद्र में रह सकता है और 14,000 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक हमला कर सकता है।

विस्फोटक वारहेड: यह 2 मेगाटन का परमाणु बम ले जा सकता है, जो हिरोशिमा पर गिराए गए बम से लगभग 100 गुना ज्यादा ताकतवर है।

इंजन: इसमें लिक्विड मेटल कूल्ड न्यूक्लियर रिएक्टर लगा है, जो इसे सालों तक बिना रुके चलने की शक्ति देता है।

कोबाल्ट का खतरा: इसमें कोबाल्ट सॉल्टेड वारहेड का विकल्प भी है, जो विस्फोट के बाद भयानक रेडियोएक्टिव धूल फैलाएगा, जिससे इलाके सालों तक रहने लायक नहीं बचेंगे।

पोसाइडन की रेंज: दुनिया के 80% तटीय शहर खतरे में

पोसाइडन की इंटरकॉन्टिनेंटल (महाद्वीपों के बीच) रेंज इसे वैश्विक खतरा बनाती है। रूस की पनडुब्बियों से लॉन्च होने पर यह दुनिया के लगभग 80% तटीय शहरों को निशाना बना सकता है:

अमेरिका: यह अमेरिका के पूरे पूर्वी और पश्चिमी तट (न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, वॉशिंगटन) पर हमला कर सकता है, जिसे रूस ने विशेष रूप से लक्षित करने के लिए डिजाइन किया है।

यूरोप: ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों के तटीय इलाके इसकी चपेट में होंगे।

एशिया: जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के तटीय शहर भी इसकी जद में हैं।

अन्य: भारत, ऑस्ट्रेलिया और अन्य महाद्वीपों के बड़े बंदरगाह भी इसकी 14,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज में आते हैं।

रूस की योजना ऐसे 30 हथियार बनाने की है, जो आर्कटिक सागर से लॉन्च होकर प्रशांत महासागर तक पहुँचने में सक्षम होंगे।

कयामत का हथियार: रेडियोएक्टिव सुनामी का डर

पोसाइडन को 'डूम्सडे वेपन' (Domesday Weapon) इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका विनाशकारी प्रभाव केवल परमाणु विस्फोट तक सीमित नहीं है।

रेडियोएक्टिव सुनामी: विशेषज्ञ चेताते हैं कि यह तटीय इलाकों में विस्फोट करेगा, जिससे 500 मीटर (लगभग 1600 फीट) ऊंची रेडियोएक्टिव लहरें (सुनामी) पैदा होंगी। ये लहरें न केवल शहरों को पूरी तरह डुबो देंगी, बल्कि भारी मात्रा में रेडियोएक्टिव पानी और मलबा फैलाएंगी, जिससे हमलाग्रस्त इलाके दशकों तक निर्जन हो जाएंगे।

गुप्त हमला: इसकी अत्यधिक गति और 1,000 मीटर तक की गहराई के कारण, कोई भी रडार या सोनार सिस्टम इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा। यह दुश्मन के करीब चुपचाप पहुंच जाता है।

वैश्विक परिणाम: अगर इस हथियार का इस्तेमाल हुआ, तो सिर्फ एक देश नहीं, पूरी दुनिया प्रभावित होगी। समुद्री जीवन नष्ट होगा, जलवायु बदलाव आएगा और एक 'न्यूक्लियर विंटर' (परमाणु सर्दी) जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

पोसाइडन जैसी तकनीक दिखाती है कि न्यूक्लियर हथियार अब कितने घातक हो गए हैं। पुतिन का यह ऐलान स्पष्ट रूप से दुनिया को चेतावनी है, जिससे अमेरिका और नाटो को इसे रोकने के लिए नई रक्षा तकनीकें बनाने पर मजबूर होना पड़ेगा। सवाल यही है—क्या ऐसे विनाशकारी हथियार दुनिया में शांति लाएंगे या केवल बर्बादी?

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