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ट्रंप करने वाले हैं न्यूक्लियर धमाका! रूस- चीन की परमाणु दहशत के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिये आदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेंटागन को परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया। यह अमेरिका का 33 साल बाद पहला परीक्षण हो सकता है। रूस और चीन के हालिया परमाणु परीक्षणों के बीच अमेरिका की यह योजना वैश्विक सुरक्षा और नई आर्म्स रेस के मुद्दे को उजागर करती है।
US President Donald Trump:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घोषणा की है कि उन्होंने पेंटागन को तुरंत परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। यदि यह परीक्षण होता है, तो यह 33 साल बाद अमेरिका का पहला परमाणु परीक्षण होगा। अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को परमाणु हथियार का परीक्षण किया था।
ट्रंप का कहना है कि रूस और चीन लगातार अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका को भी बराबरी बनाए रखने के लिए ऐसा करना चाहिए। हालांकि, 1990 के दशक के बाद अमेरिका, रूस और चीन में से किसी ने भी परीक्षण नहीं किया। चीन का आखिरी परीक्षण 1996 में हुआ था।
यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप न्यूक्लियर टेस्टिंग की बात कर रहे हैं या ऐसे हथियारों की जो वारहेड ले जाने में सक्षम हैं। हाल ही में अमेरिका ने ट्राइडेंट मिसाइल सहित परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइलों के कई परीक्षण किए हैं।
परीक्षण कब तक संभव
अभी तक यह तय नहीं है कि परीक्षण कितनी जल्दी हो सकता है। अगस्त 2025 की कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति के आदेश के बाद अमेरिका को परीक्षण के लिए 24-36 महीने लग सकते हैं। इसके लिए कांग्रेस की मंजूरी और भारी खर्च आवश्यक होगा।
रूस और चीन के हालिया परीक्षण
रूस ने हाल ही में बुरेवेस्तनिक क्रूज मिसाइल और पोसीडॉन टॉरपीडो का परीक्षण किया है। पोसीडॉन हजारों किलोमीटर तक समुद्र में मार सकता है और बड़े तटीय क्षेत्रों को तबाह कर सकता है। चीन ने सितंबर में पहली बार अपने न्यूक्लियर ट्रायड सिस्टम का प्रदर्शन किया, जो जमीन, समुद्र और हवा से परमाणु-सक्षम मिसाइलें दाग सकता है।
वैश्विक परमाणु स्थिति
वैज्ञानिकों के अनुसार, रूस के पास लगभग 5,500 और अमेरिका के पास 5,000 परमाणु हथियार हैं। दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90% केवल इन दोनों देशों के पास है। चीन के पास लगभग 1,000 हथियार हैं।
नई आर्म्स रेस का खतरा?
ट्रंप खुद को शांति का समर्थक बताते हैं और नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर चुके हैं। उनका दावा है कि उनका मकसद तनाव कम करना और परमाणु निरस्त्रीकरण देखना है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका रूस से इस विषय पर बातचीत कर रहा है और अगर समझौता होता है तो चीन भी इसमें शामिल होगा।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे उम्मीद करते हैं कि अमेरिका परमाणु परीक्षण रोकने के वादे पर कायम रहेगा और अंतरराष्ट्रीय निरस्त्रीकरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगा।
अमेरिका के पिछले परीक्षण
अमेरिका ने अब तक 1,054 परमाणु परीक्षण किए हैं, जिनमें 216 वायुमंडलीय, कुछ पानी के नीचे और 815 भूमिगत परीक्षण शामिल हैं। पहला परीक्षण 16 जुलाई 1945 को न्यू मेक्सिको में ट्रिनिटी टेस्ट के रूप में किया गया।
अमेरिका की संधियाँ
अमेरिका कई अंतरराष्ट्रीय परमाणु संधियों का हिस्सा है, जैसे NPT (नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी) और कंप्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (1996)। हालांकि, अमेरिकी सीनेट ने टेस्ट बैन संधि को मंजूरी नहीं दी।
अगर अमेरिका परीक्षण करता है, तो रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान भी ऐसा कर सकते हैं, जिससे दशकों से चले आ रहे वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध का संतुलन टूट सकता है।
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